Retail Investors का Dominance – क्या FIIs की Power घट रही है?
Retail Investors का Dominance – क्या FIIs की Power घट रही है?
1. FIIs की Power घट रही है — डेटा क्या कहता है?
a. FII निवेश रिकॉर्ड रूप से नीचे
• 2025 में FIIs के द्वारा भारतीय इक्विटीज़ से निकासी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है — लगभग ₹1.58 लाख करोड़ का नेट आउटफ्लो, जो अब तक का सबसे बड़ा है।
b. FIIs की होल्डिंग 15-साल के निचले स्तर पर
• FIIs की हिस्सेदारी NSE सूचीबद्ध कंपनियों में 15-साल के निचले स्तर पर पहुंच चुकी है, जबकि DIIs की हिस्सेदारी बढ़ी है।
c. FIIs का प्रभाव अभी भी मौजूद है पर कम
• FIIs अब भी अहम भूमिका निभाते हैं, खासकर वैश्विक इक्विटी धाराओं में, पर भारतीय बाजार में उनका प्रभाव पहले जैसा सेंट्रल नहीं रहा।
निष्कर्ष (FIIs की शक्ति): अभी FIIs खत्म नहीं हुए हैं, पर उनकी बाजार पर प्रमुखता और शेयर होल्डिंग स्तर सुस्त/कम हुआ है।
2. Retail Investors और Domestic Investors की बढ़ती भूमिका
a. Retail Investors (खुदरा निवेशक) का उत्साह
• IPO में खुदरा निवेशकों का योगदान 2025 में लगभग ₹42,000 करोड़ रहा, जो पिछले वर्षों की तुलना में तीन गुना अधिक है और लगभग विदेशी निवेश के बराबर है।
• Retail investors की सहभागिता अक्सर SIPs, demat accounts, और small-mid cap निवेश के कारण तेजी से बढ़ी है।
b. DIIs (डोमेस्टिक इंस्टिट्यूशनल इन्वेस्टर्स) का प्रभुत्व
• DIIs (म्यूचुअल फंड्स, LIC, इंश्योरेंस कंपनियाँ आदि) ने FIIs की कुल हिस्सेदारी को पार कर लिया है — यह एक पहली बार की स्थिति है।
• DIIs का combined share FIIs की तुलना में अधिक है, जो बताता है कि स्थानीय पूंजी बाजार अब अधिक घरेलू निवेश द्वारा संचालित हो रहा है।
3. क्या Retail Investors FIIs से Dominant हो रहे हैं?
यह तीन पहलुओं में स्पष्ट होता है:
(i) Ownership Structure में बदलाव
• DIIs + Retail + HNIs (High Net Worth Individuals) का combined share अब FIIs से बड़ा है।
• Retail investor की प्रतिभागिता बढ़ी है, हालांकि कुछ तिमाहियों में उनका छोटा-मोटा लेन-देन और overall share स्थिर/थोड़ा घटा है भी।
(ii) Market Impact में बदलाव
• पहले जब FIIs बिकते थे, तो बाजार में बड़ी गिरावट आती थी। अब DIIs और Retail inflows इस sell-off को अवशोषित कर रहे हैं, जिससे volatility कम हुई है।
(iii) Long-term Structural Shift
• Retail participation SIPs, digital demat platforms और वित्तीय जागरूकता के कारण बढ़ी है, जिससे बाजार के ownership structure में स्थिर घरेलू पूंजी का योगदान ज्यादा हो गया है।
निष्कर्ष (Dominance): Retail + Domestic Institutional Investors मिलकर भारतीय इक्विटी बाजार में FIIs के पारंपरिक प्रभुत्व को चुनौती दे रहे हैं। FIIs की शक्ति घट रही है यदि हम शेयर होल्डिंग और बाजार-चाल (market dynamics) पर नजर डालें।
4. क्या यह बदलाव स्थायी है या अस्थायी?
Supportive Factors (स्थिरता के संकेत):
Digital demat accounts और SIPs के माध्यम से खुदरा निवेशक लगातार बाजार में जुड़ रहे हैं।
DIIs का पैसा FIIs की तुलना में “sticky” (कम गतिशील) है, जो मंदी के दौरान बाजार को स्थिर रखता है।
Risk/Limitations (संभावित उलटफेर):
FIIs globally macroeconomic और asset allocation dynamics पर आधारित निर्णय लेते हैं — यह हमेशा अप्रत्याशित रह सकता है।
Retail investors का व्यवहार कुछ हद तक भावनात्मक/short-term आधारित हो सकता है, जिससे volatility में उछाल संभव है।
5. Bottom Line (मुख्य सारांश)
| Parameter | Trend |
|---|---|
| FIIs की शक्ति | घटती हुई (relative influence down) |
| Domestic Institutional Investors | बढ़ता हुआ (now often dominant) |
| Retail Investors | तेजी से संलग्न, significant contribution |
| Market Reliance on FIIs | कम होती जा रही |
अर्थात: FIIs अभी भी मायने रखते हैं, पर भारतीय शेयर बाजार अब पहले की तुलना में FIIs पर कम निर्भर है — Retail + Domestic Institutional Investors ने बाजार का संतुलन बदल दिया है।
Retail Investors (खुदरा निवेशक) से जुड़ा India-specific डेटा दिया गया है,
🇮🇳 Retail Investors Data (India)
1) Demat Accounts Growth
2019: ~4 करोड़
2024–25: 14+ करोड़
CAGR (5 साल): 25%+
स्रोत: NSDL + CDSL
2) SIP Inflows (Monthly)
2019: ₹8,000–9,000 करोड़
2024–25: ₹20,000–22,000 करोड़ / महीना
SIP Accounts: 8+ करोड़
संकेत: Long-term, disciplined retail money
3) Market Turnover में Retail Share
Cash Market: 35–40%
Derivatives (F&O): 40%+ participation
पहले (2015 के आसपास): ~20–25%
4) IPO Market में Retail Power
2024–25 IPOs में Retail Contribution: ₹40,000+ करोड़
कई IPOs में Retail portion 10–20x oversubscribe
New-age IPOs में Retail participation सबसे अधिक
5) Mutual Funds AUM (Retail Driven)
Total MF AUM: ₹55+ लाख करोड़
Equity MF AUM में Retail dominance
DIIs की ताकत का मुख्य स्रोत = Retail SIP inflows
6) FII vs Retail Impact (Behavioral Shift)
FII Sell-off के बावजूद Market Stability
Reason:
SIPs auto-debit (panic selling कम)
Domestic liquidity absorb कर लेती है selling pressure
7) Age & Geography Trend
New Retail Investors Age: 20–35 years
Tier-2 / Tier-3 cities से growth तेज
Mobile trading + fintech apps मुख्य कारण
🔑 Key Takeaway
“आज Indian Stock Market FII-Driven नहीं, बल्कि SIP-Driven और Retail-Powered बन चुका है।”
Trade on Money
🙏 धन्यवाद! अगर आपको यह लेख पसंद आया हो तो कृपया इसे शेयर करें और हमारे ब्लॉग को फॉलो करें।
Trade on Money
🙏 धन्यवाद! अगर आपको यह लेख पसंद आया हो तो कृपया इसे शेयर करें और हमारे ब्लॉग को फॉलो करें।
🔗 हमसे जुड़े रहें: Facebook | Instagram | Twitter | Telegram | YouTube |
💼 हमारी सेवाओं के बारे में जानें: Agriculture | Stock Market | Gyaan Sutra |
📚 Everyday Learning channel on WhatsApp: Everyday Learning WA Channel
📧 Contact : tradeonmoney@gmail.com
⚠️ Disclaimer: इस ब्लॉग में दी गई जानकारी केवल शैक्षणिक और सामान्य जानकारी के लिए है। इसमें निवेश, स्वास्थ्य या कानूनी सलाह शामिल नहीं है। किसी भी निर्णय से पहले विशेषज्ञ से सलाह लें।
© 2025 Trade on money: सभी अधिकार सुरक्षित। इस ब्लॉग की सामग्री की अनुमति के बिना पुनःप्रकाशन, कॉपी या वितरण निषिद्ध है।
Disclaimer | Terms & Conditions | Privacy Policy

टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें