Elliott Wave Theory details explanation in Hindi

 Elliott Wave Theory details explanation in Hindi



Elliott Wave Theory एक तकनीकी विश्लेषण का तरीका है जो स्टॉक मार्केट और अन्य वित्तीय बाजारों में कीमतों के उतार-चढ़ाव को समझने और भविष्यवाणी करने में मदद करता है। इस थ्योरी को 1930 के दशक में राल्फ नेल्सन इलियट ने विकसित किया था। इलियट ने इस बात का अध्ययन किया कि मार्केट की कीमतें कुछ नियमित पैटर्न्स या तरंगों (waves) में चलती हैं, जिन्हें समझने से आप भविष्यवाणी कर सकते हैं कि कीमतें किस दिशा में जाएंगी।

Elliott Wave Theory के मुख्य सिद्धांत:

  1. मार्केट साइकल: इलियट ने पाया कि कीमतें एक निश्चित साइकल में मूव करती हैं, जिसे दो भागों में विभाजित किया जा सकता है:
    • Impulsive Wave (प्रेरणादायक तरंग): यह मुख्य ट्रेंड के साथ होती है और इसमें पाँच तरंगें (waves) होती हैं।
    • Corrective Wave (सुधारात्मक तरंग): यह विपरीत ट्रेंड में होती है और इसमें तीन तरंगें (waves) होती हैं।

5-3 वेव पैटर्न:

  • Impulsive Wave (प्रेरणादायक तरंग): यह पैटर्न पाँच तरंगों से बना होता है, जिसमें तीन तरंगें मार्केट की मुख्य दिशा में होती हैं और दो तरंगें विपरीत दिशा में।

    • तरंग 1, 3, और 5 ट्रेंड के साथ होती हैं।
    • तरंग 2 और 4 विपरीत दिशा में होती हैं।
  • Corrective Wave (सुधारात्मक तरंग): जब Impulsive Wave समाप्त हो जाती है, तब मार्केट तीन तरंगों में एक सुधार करता है।

    • तरंग A, B, और C एक सुधारात्मक मूवमेंट बनाती हैं।
    • इसमें तरंग A और C ट्रेंड के खिलाफ होती हैं और तरंग B ट्रेंड के साथ।

Elliott Wave के नियम:

  1. Elliott Wave Theory के कुछ महत्वपूर्ण नियम हैं जिनका पालन करके आप सही तरीके से तरंगों की पहचान कर सकते हैं। ये नियम यह निर्धारित करते हैं कि तरंगें किस प्रकार बनेंगी और मार्केट कैसे व्यवहार करेगा:

    1. तरंग 2 (Wave 2) कभी भी तरंग 1 (Wave 1) की शुरुआत से आगे नहीं जा सकती:

    • इसका मतलब यह है कि जब तरंग 2 बन रही होती है (corrective wave), तो यह तरंग 1 की शुरुआत से नीचे नहीं जा सकती। अगर ऐसा होता है, तो यह Elliott Wave पैटर्न नहीं होगा।

    2. तरंग 3 (Wave 3) कभी भी सबसे छोटी तरंग नहीं हो सकती:

    • सामान्यतः, तरंग 3 सबसे लंबी और सबसे ताकतवर होती है। यह कभी तरंग 1 या तरंग 5 से छोटी नहीं होनी चाहिए। तरंग 3 में मार्केट का मूवमेंट सबसे अधिक देखा जाता है।

    3. तरंग 4 (Wave 4) कभी भी तरंग 1 (Wave 1) की सीमा में प्रवेश नहीं करती:

    • इसका मतलब है कि तरंग 4 का सुधार (correction) कभी भी तरंग 1 के क्षेत्र में नहीं जाएगा। अगर ऐसा होता है, तो यह Elliott Wave Theory के नियम का उल्लंघन होगा।

    4. तरंग 5 (Wave 5) के बाद सुधार की तीन तरंगें बनती हैं:

    • तरंग 5 के बाद मार्केट में सुधार (correction) होता है, जो तीन तरंगों (A, B, और C) के रूप में होता है। यह corrective phase कहलाता है, जहां मार्केट एक नए ट्रेंड के लिए तैयारी करता है।

    5. समानुपाती संबंध (Proportional Relationships):

    • तरंगों के बीच समानुपातीता होती है। उदाहरण के लिए, तरंग 2 और तरंग 4 एक-दूसरे से मिलती-जुलती हो सकती हैं, लेकिन वे हमेशा एक दूसरे के विपरीत दिशाओं में होती हैं (wave alternation principle)।

    Elliott Wave Theory में इन नियमों का पालन करना बेहद ज़रूरी है, ताकि सही तरंगों की पहचान और उनकी भविष्यवाणी की जा सके। इन नियमों का पालन करने से आप मार्केट के बड़े मूवमेंट्स को समझ सकते हैं और सही ट्रेडिंग निर्णय ले सकते हैं।

Elliott Wave का उपयोग:

Elliott Wave Theory का उपयोग निवेशक और ट्रेडर मार्केट की ट्रेंड और सुधारात्मक मूवमेंट्स को पहचानने के लिए करते हैं। इससे वे यह तय कर सकते हैं कि किसी खास समय पर निवेश या ट्रेडिंग सही होगी या नहीं। हालांकि, Elliott Wave Theory का उपयोग करने के लिए अनुभव और अभ्यास की जरूरत होती है क्योंकि मार्केट में कई बार अस्थिरता रहती है, जिससे तरंगों की पहचान करना मुश्किल हो सकता है।

Elliott Wave Theory के फायदे:

  1. यह मार्केट की लंबी अवधि की ट्रेंड्स को पहचानने में मदद करता है।
  2. इसमें एक वैज्ञानिक तरीका अपनाया जाता है जिससे निवेशकों को भविष्य की कीमतों का अनुमान लगाने में मदद मिलती है।

Elliott Wave Theory के नुकसान:

  1. इसे समझना और सही तरीके से लागू करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
  2. गलत वेव की पहचान से ट्रेडिंग नुकसान हो सकता है।

निष्कर्ष: Elliott Wave Theory एक जटिल लेकिन प्रभावी तकनीकी विश्लेषण का तरीका है, जो बाजार की दिशा का अनुमान लगाने में मदद करता है। इसे समझने और सही से लागू करने के लिए अनुभव और गहरी जानकारी की आवश्यकता होती है।

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Wave 1 Elliott Wave Theory : 



Wave 1 Elliott Wave Theory में पहली तरंग होती है और इसका विशेष महत्व होता है क्योंकि यह मार्केट में एक नए ट्रेंड की शुरुआत का संकेत देती है। आइए विस्तार से समझते हैं:

Wave 1 की विशेषताएँ:

  1. नए ट्रेंड की शुरुआत:

    • Wave 1 को एक नए बुलिश या बियरिश ट्रेंड का शुरुआती चरण माना जाता है। यह आमतौर पर एक छोटी और कमजोर मूवमेंट के रूप में होता है, क्योंकि यह मार्केट के पिछले ट्रेंड के ठीक बाद आता है, जहां ज्यादातर निवेशक अभी भी पुराने ट्रेंड पर ध्यान दे रहे होते हैं।
  2. कमज़ोर मार्केट धारणा:

    • Wave 1 में मार्केट में बहुत ज्यादा उत्साह नहीं होता। ज्यादातर निवेशक और ट्रेडर्स को यह महसूस नहीं होता कि एक नया ट्रेंड शुरू हो गया है। इस कारण, वे इसे एक सामान्य सुधार मानते हैं और यह अपेक्षाकृत धीमी गति से आगे बढ़ता है।
  3. फंडामेंटल्स में बदलाव:

    • Wave 1 अक्सर कुछ फंडामेंटल कारणों के कारण उत्पन्न होती है, जैसे कि किसी कंपनी के अच्छे वित्तीय नतीजे, सरकारी नीतियों में बदलाव, या किसी प्रमुख आर्थिक घटना का असर। ये कारण निवेशकों को धीरे-धीरे मार्केट में नए ट्रेंड की ओर खींचते हैं।
  4. कम वॉल्यूम:

    • शुरुआत में Wave 1 में ट्रेडिंग वॉल्यूम कम होता है, क्योंकि निवेशक मार्केट के नए ट्रेंड को लेकर अनिश्चित होते हैं। हालांकि, जैसे-जैसे तरंग आगे बढ़ती है, कुछ समझदार निवेशक इस नए ट्रेंड को पहचानते हैं और इसमें प्रवेश करते हैं।
  5. प्रेरणात्मक (Impulse) तरंग:

    • Wave 1 एक प्रेरणात्मक (impulsive) तरंग होती है, जो मुख्य ट्रेंड की दिशा में मूव करती है। यह तरंग छोटी होती है लेकिन इसमें मार्केट धीरे-धीरे ऊपरी या निचले स्तर की ओर बढ़ता है, इस पर निर्भर करता है कि यह बुलिश (ऊपरी) या बियरिश (निचले) ट्रेंड में है।

Wave 1 के दौरान निवेशकों का व्यवहार:

  • इस समय अधिकतर निवेशक अभी भी पिछली मार्केट स्थिति में फंसे होते हैं और सोचते हैं कि यह केवल एक अस्थायी मूवमेंट है। वे इस बदलाव को नहीं पहचान पाते कि यह एक नया ट्रेंड बन रहा है।
  • कुछ अधिक अनुभवी ट्रेडर्स जो Elliott Wave Theory के अनुसार काम करते हैं, वे Wave 1 के दौरान अपनी स्थिति लेना शुरू कर देते हैं, क्योंकि वे संभावित नए ट्रेंड को पहले पहचानते हैं।

Wave 1 के बाद क्या होता है:

  • जब Wave 1 पूरी हो जाती है, तो इसके बाद अक्सर एक Wave 2 आती है, जो सुधारात्मक (corrective) तरंग होती है। यह तरंग पिछले ट्रेंड को कुछ हद तक वापस ले जाती है, जिससे मार्केट एक बार फिर से पिछले ट्रेंड के करीब आ जाता है, लेकिन यह ट्रेंड का अंत नहीं होता।

निष्कर्ष: Wave 1 एक महत्वपूर्ण तरंग है जो मार्केट में एक नए ट्रेंड की शुरुआत का संकेत देती है, लेकिन इसे शुरुआत में बहुत सारे निवेशक नहीं पहचानते।

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Wave 2 Elliott Wave Theory :



Wave 2 Elliott Wave Theory में दूसरी तरंग होती है और यह corrective wave के रूप में जानी जाती है। इसका काम पहले बनी Wave 1 की कुछ हद तक वापसी करना होता है, लेकिन यह कभी Wave 1 की शुरुआत से आगे नहीं जाती। आइए विस्तार से समझते हैं:

Wave 2 की विशेषताएँ:

  1. Wave 1 के बाद सुधार (Correction):
    • Wave 2 हमेशा Wave 1 के बाद आती है। यह एक सुधारात्मक तरंग होती है, जो Wave 1 के दौरान हुए लाभ (या हानि) को कुछ हद तक उलटती है। इस समय पर मार्केट में थोड़ा विराम और अनिश्चितता होती है।
  2. Wave 2 में ज्यादा से ज्यादा निवेशक पुराने ट्रेंड पर विश्वास करते हैं:
    • बहुत से निवेशक और ट्रेडर्स Wave 1 को एक फेक (झूठा) मूवमेंट मानते हैं और पुरानी मार्केट दिशा में विश्वास करते हैं। इस कारण वे अपना पैसा बेचने लगते हैं या ट्रेडिंग बंद कर देते हैं, जिससे मार्केट में सुधार होता है।
  3. Wave 2 कभी भी Wave 1 की शुरुआत से आगे नहीं जाती:
    • Wave 2 का सबसे महत्वपूर्ण नियम यह है कि यह Wave 1 की शुरुआत से नीचे या पीछे नहीं जाती। यदि Wave 2, Wave 1 की पूरी लंबाई को वापस ले लेती है और उससे आगे जाती है, तो यह Elliott Wave पैटर्न का उल्लंघन होगा।
  4. सुधार का पैटर्न:
    • Wave 2 अक्सर तीन तरंगों (A, B, और C) के पैटर्न में होती है, जिसे ज़िगज़ैग, फ्लैट, या अन्य corrective patterns में देखा जा सकता है। इसमें मार्केट थोड़ी स्थिरता और उलटफेर दिखाता है।
  5. Wave 2 में कम वॉल्यूम और मूवमेंट:
    • Wave 2 में ट्रेडिंग वॉल्यूम अक्सर कम होता है, क्योंकि बहुत से निवेशक या तो पुराने ट्रेंड को पकड़ने की कोशिश कर रहे होते हैं या वे नए ट्रेंड को लेकर आश्वस्त नहीं होते।
  6. Wave 2 में डर और अनिश्चितता:
    • इस समय निवेशकों में डर और संदेह होता है। वे सोचते हैं कि शायद Wave 1 सिर्फ एक अस्थायी मूवमेंट था और मार्केट फिर से पुराने ट्रेंड की ओर जाएगा। यही कारण है कि Wave 2 के दौरान सुधार (correction) होता है।

Wave 2 के दौरान निवेशकों का व्यवहार:

  • Wave 2 में अक्सर निवेशक अपनी स्थिति को सुरक्षित करने के लिए अपने निवेश को बेच देते हैं, जिससे मार्केट में गिरावट आती है।
  • लेकिन कुछ अनुभवी ट्रेडर्स जो Elliott Wave Theory का पालन करते हैं, वे जानते हैं कि Wave 2 के बाद Wave 3 (जो आम तौर पर सबसे मजबूत होती है) आएगी। इसलिए, वे इस समय अपने पोजीशंस को बनाए रखते हैं या नई पोजीशंस खरीदते हैं।

Wave 2 के बाद क्या होता है:

  • Wave 2 के समाप्त होने के बाद, Wave 3 शुरू होती है, जो आम तौर पर सबसे लंबी और ताकतवर तरंग होती है। यह मार्केट को तेजी से मुख्य ट्रेंड की दिशा में ले जाती है और अधिकतर निवेशक इस समय में ट्रेंड को पहचानते हैं।

Wave 2 का सामान्य आकार:

  • Wave 2 आमतौर पर Wave 1 की 50%, 61.8%, या 76.4% तक की वापसी कर सकती है (Fibonacci retracement levels के आधार पर)। लेकिन यह कभी भी Wave 1 की शुरुआत से आगे नहीं जाएगी।

निष्कर्ष: Wave 2 एक corrective wave है जो पहले Wave 1 के मूवमेंट का सुधार करती है। यह निवेशकों के बीच डर और अनिश्चितता का समय होता है, लेकिन अनुभवी ट्रेडर्स जानते हैं कि इसके बाद Wave 3 आने वाली है, जो मुख्य ट्रेंड को आगे बढ़ाएगी।

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Wave 3 Elliott Wave Theory :



Wave 3 Elliott Wave Theory में सबसे महत्वपूर्ण और लंबी तरंगों में से एक होती है। यह आमतौर पर सबसे ताकतवर और सबसे लंबी तरंग होती है, जिसमें मार्केट मुख्य ट्रेंड की दिशा में बहुत तेजी से आगे बढ़ता है। आइए Wave 3 को विस्तार से समझते हैं:

Wave 3 की विशेषताएँ:

  1. सबसे ताकतवर तरंग:
    • Wave 3 अक्सर सबसे लंबी और सबसे ताकतवर तरंग होती है। इसमें मार्केट में तेजी से उछाल या गिरावट आती है, और यह पहली तरंग (Wave 1) की तुलना में अधिक स्पष्ट और दृढ़ होती है।
  2. निवेशकों का बढ़ता विश्वास:
    • Wave 3 के दौरान, निवेशकों का विश्वास नए ट्रेंड में बढ़ने लगता है। वे यह समझ जाते हैं कि मार्केट ने वास्तव में एक नया ट्रेंड शुरू कर दिया है, और वे बड़े पैमाने पर निवेश करना शुरू कर देते हैं। इस समय में मार्केट में तेजी या मंदी का मूवमेंट तेजी से बढ़ता है।
  3. Wave 3 कभी सबसे छोटी तरंग नहीं होती:
    • Elliott Wave Theory का एक महत्वपूर्ण नियम है कि Wave 3 कभी भी सबसे छोटी तरंग नहीं हो सकती। यह तरंग हमेशा Wave 1 और Wave 5 से बड़ी या कम से कम उनके बराबर होती है।
  4. वॉल्यूम और गति में वृद्धि:
    • Wave 3 के दौरान मार्केट में वॉल्यूम और गति (momentum) में तेजी से वृद्धि होती है। ट्रेडिंग का वॉल्यूम उच्चतम स्तर पर होता है, और मूवमेंट बहुत तेज और स्थिर होता है। इस समय पर बड़े निवेशक और संस्थागत निवेशक मार्केट में अधिक सक्रिय होते हैं।
  5. Wave 3 में न्यूनतम सुधार:
    • जबकि Wave 1 और Wave 5 में कुछ सुधार हो सकते हैं, Wave 3 में सुधार या रुकावटें बहुत कम होती हैं। मार्केट एक स्पष्ट दिशा में बढ़ता है और यह मूवमेंट लंबी अवधि तक चलता है।
  6. Fibonacci अनुपात:
    • Wave 3 की लंबाई अक्सर Wave 1 के मुकाबले 1.618 या 2.618 गुना होती है, जिसे Fibonacci विस्तार (extension) के रूप में मापा जाता है। इसका मतलब यह है कि यह Wave 1 से काफी लंबी हो सकती है, और यह Fibonacci के साथ संगत होती है।

Wave 3 के दौरान निवेशकों का व्यवहार:

  • इस समय पर अधिकांश निवेशक और ट्रेडर्स यह समझ चुके होते हैं कि मार्केट ने एक नया ट्रेंड शुरू कर दिया है। इसलिए वे अधिक से अधिक पोजीशंस लेना शुरू कर देते हैं।
  • Wave 3 के दौरान निवेशक खरीदारी या बिक्री के लिए अधिक आत्मविश्वास महसूस करते हैं, जिससे मार्केट में बड़ी तेजी (या गिरावट) आती है।

Wave 3 के बाद क्या होता है:

  • जब Wave 3 समाप्त हो जाती है, तो मार्केट में फिर से एक सुधारात्मक तरंग, जिसे Wave 4 कहा जाता है, शुरू होती है। यह एक हल्का सुधार होता है जो मार्केट के प्रमुख ट्रेंड को नहीं बदलता, लेकिन इसे थोड़ी देर के लिए रोकता है।

Wave 3 का सामान्य आकार:

  • Wave 3 अक्सर Wave 1 से लंबी होती है और इसका विस्तार Fibonacci के अनुसार 1.618, 2.618 या 4.236 तक हो सकता है।

निवेश के लिए सबसे अच्छा समय:

  • बहुत से निवेशक Wave 3 को मार्केट में प्रवेश करने का सबसे अच्छा समय मानते हैं, क्योंकि यह सबसे शक्तिशाली और तेज तरंग होती है। इस समय में मार्केट की दिशा स्पष्ट होती है और इसमें भारी मुनाफे की संभावना होती है।

निष्कर्ष: Wave 3 Elliott Wave Theory की सबसे महत्वपूर्ण और ताकतवर तरंग है। इसमें मार्केट तेज़ी से मुख्य ट्रेंड की दिशा में बढ़ता है, और वॉल्यूम और गति उच्चतम स्तर पर होती है। यह निवेशकों के लिए सबसे लाभदायक समय होता है, क्योंकि मार्केट एक नए और स्पष्ट ट्रेंड में होता है।

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Wave 4 Elliott Wave Theory :



Wave 4 Elliott Wave Theory की चौथी तरंग होती है और इसे corrective wave के रूप में जाना जाता है। यह मुख्य ट्रेंड के खिलाफ एक सुधारात्मक चरण होता है, जो कि तीसरी तरंग (Wave 3) के बाद आता है। Wave 4 में मार्केट थोड़ा स्थिर हो जाता है और इसमें बड़ी तेजी या मंदी की जगह हल्की गिरावट या रुकावट होती है। आइए Wave 4 को विस्तार से समझते हैं:

Wave 4 की विशेषताएँ:

  1. सुधार (Correction) का चरण:

    • Wave 4 एक सुधारात्मक तरंग होती है जो मुख्य ट्रेंड (Wave 3) के बाद आती है। इस दौरान मार्केट कुछ हद तक रुकावट या गिरावट का सामना करता है, लेकिन यह गिरावट आमतौर पर हल्की होती है। यह तरंग मार्केट को कुछ समय के लिए स्थिर करने का काम करती है।
  2. Wave 3 का प्रभाव:

    • Wave 4 हमेशा Wave 3 के बाद आती है, जो कि Elliott Wave Theory की सबसे ताकतवर और लंबी तरंग होती है। Wave 4 इस बड़े मूवमेंट के बाद का ब्रेक या ठहराव है, जिसमें निवेशक मुनाफा निकालने की कोशिश करते हैं।
  3. Wave 4 कभी भी Wave 1 की सीमा में प्रवेश नहीं करती:

    • Elliott Wave Theory का एक महत्वपूर्ण नियम है कि Wave 4 कभी भी Wave 1 के दायरे (अर्थात् उसकी ऊंचाई) में प्रवेश नहीं करती। यदि ऐसा होता है, तो यह Elliott Wave के नियम का उल्लंघन होगा।
  4. सुधार का पैटर्न:

    • Wave 4 में सुधार (correction) आमतौर पर फ्लैट, ज़िगज़ैग, या त्रिकोण (triangle) पैटर्न में होता है। इस समय पर मार्केट अधिकतर साइडवेज़ (sideways) या थोड़ी रुकावट के साथ चल सकता है।
  5. Wave 4 में निवेशकों का व्यवहार:

    • इस समय अधिकांश निवेशक मार्केट में अपने मुनाफे को सुरक्षित करने के लिए अपने पोजीशन को बेचने या ट्रेड को बंद करने की कोशिश करते हैं। लेकिन चूंकि यह एक हल्का सुधार होता है, ज्यादातर अनुभवी निवेशक इसे मुख्य ट्रेंड के अंत के रूप में नहीं देखते हैं।
  6. Wave 4 में कम वॉल्यूम और गति:

    • Wave 4 में Wave 3 की तुलना में वॉल्यूम और गति दोनों ही कम होते हैं। यह एक धीमी और स्थिर सुधार है, जहां मार्केट कुछ समय के लिए ठहराव पर रहता है। इस तरंग में भावनात्मक या अस्थिर मार्केट मूवमेंट कम होते हैं।

Wave 4 के दौरान निवेशकों का व्यवहार:

  • इस समय अनुभवी निवेशक अपनी पोजीशंस को बनाए रखते हैं क्योंकि उन्हें विश्वास होता है कि इसके बाद Wave 5, जो कि एक और प्रेरणात्मक तरंग (impulse wave) होती है, आएगी और मार्केट फिर से मुख्य ट्रेंड की दिशा में आगे बढ़ेगा।
  • वहीं, कुछ निवेशक मुनाफा लेने के लिए अपनी पोजीशंस को बंद कर सकते हैं, जिससे थोड़ी गिरावट देखी जाती है, लेकिन यह गिरावट सीमित होती है।

Wave 4 के बाद क्या होता है:

  • Wave 4 के बाद अंतिम तरंग, Wave 5, आती है, जो कि मार्केट को मुख्य ट्रेंड की दिशा में एक और मूवमेंट देती है। Wave 5 अक्सर Wave 3 जितनी लंबी और ताकतवर नहीं होती, लेकिन यह मार्केट को अंतिम उछाल देती है।

Wave 4 का सामान्य आकार:

  • Wave 4 अक्सर Wave 3 की लंबाई का 38.2% या 50% तक का सुधार करती है (Fibonacci retracement levels के आधार पर), लेकिन यह कभी भी Wave 1 के क्षेत्र में प्रवेश नहीं करती।

सुधार की तीव्रता:

  • Wave 4 अक्सर एक हल्का सुधार होता है, जो मुख्य ट्रेंड को नहीं तोड़ता। यह एक "पुलबैक" की तरह काम करता है, जहां मार्केट थोड़ी देर के लिए विश्राम करता है, लेकिन यह प्रमुख ट्रेंड के अंत का संकेत नहीं देता।

निष्कर्ष: Wave 4 एक सुधारात्मक तरंग है जो मुख्य ट्रेंड को विराम देती है, लेकिन यह हल्का सुधार होता है। इसमें वॉल्यूम और गति कम होती है, और यह मार्केट को अंतिम तरंग (Wave 5) के लिए तैयार करता है। Wave 4 कभी भी Wave 1 की सीमा में प्रवेश नहीं करती, और यह निवेशकों के लिए एक स्थिरता का समय होता है, जहां वे अगले ट्रेंड के लिए अपनी पोजीशंस को फिर से तैयार करते हैं।

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Wave 5 Elliott Wave Theory :



Wave 5 Elliott Wave Theory में अंतिम प्रेरणात्मक (impulse) तरंग होती है और यह मुख्य ट्रेंड की दिशा में मार्केट की आखिरी बड़ी मूवमेंट होती है। यह तरंग Wave 4 के बाद आती है और इसे मार्केट में अंतिम उछाल या गिरावट के रूप में देखा जाता है, जिसके बाद आमतौर पर सुधारात्मक तरंगें (corrective waves) शुरू होती हैं। आइए विस्तार से समझते हैं:

Wave 5 की विशेषताएँ:

  1. मुख्य ट्रेंड का अंतिम मूवमेंट:

    • Wave 5, मार्केट में मुख्य ट्रेंड की अंतिम तरंग होती है। अगर मार्केट बुलिश (uptrend) है, तो Wave 5 मार्केट को ऊपर की ओर ले जाएगी। अगर मार्केट बियरिश (downtrend) है, तो Wave 5 मार्केट को और नीचे की ओर धकेलेगी।
  2. Wave 5 में कम गति और ताकत:

    • आमतौर पर, Wave 5 की ताकत और गति, Wave 3 जितनी शक्तिशाली नहीं होती। इसमें मार्केट में कुछ रुकावट या कमजोरी देखी जाती है, क्योंकि ज्यादातर निवेशक पहले ही Wave 3 में लाभ कमा चुके होते हैं। हालांकि, यह फिर भी मुख्य ट्रेंड की दिशा में आगे बढ़ता है।
  3. सुधार के बाद निवेशकों का विश्वास:

    • Wave 4 के दौरान सुधार होने के बाद, निवेशकों को लगता है कि मार्केट फिर से मुख्य ट्रेंड की दिशा में जा रहा है। वे इस समय मार्केट में प्रवेश करते हैं, लेकिन यह मूवमेंट Wave 3 जितनी ताकतवर नहीं होती।
  4. निवेशकों की मानसिकता:

    • Wave 5 के दौरान कुछ निवेशक मार्केट में तेजी से प्रवेश करते हैं क्योंकि वे पिछले लाभ को मिस नहीं करना चाहते। हालांकि, इस समय बाजार में बहुत सारे निवेशक पहले से ही खरीदारी कर चुके होते हैं और यह तरंग आमतौर पर अनुभवी ट्रेडर्स के लिए आखिरी अवसर होता है।
  5. Wave 5 का पैटर्न:

    • Wave 5 आमतौर पर सीधे ऊपर या नीचे की दिशा में नहीं जाती, बल्कि इसमें थोड़ी बहुत अनियमितता हो सकती है। इसमें कभी-कभी साइडवेज मूवमेंट (sideways movement) या थोड़ा धीमा बढ़ाव भी हो सकता है।
  6. कम वॉल्यूम:

    • Wave 5 में वॉल्यूम अपेक्षाकृत कम हो सकता है, क्योंकि अधिकांश प्रमुख निवेशक और ट्रेडर्स Wave 3 के दौरान अपने लाभ कमा चुके होते हैं। इसलिए, Wave 5 में बहुत ज्यादा ट्रेडिंग नहीं होती, लेकिन यह मार्केट के ट्रेंड का आखिरी चरण होता है।

Wave 5 के दौरान निवेशकों का व्यवहार:

  • Wave 5 के दौरान कई निवेशक सोचते हैं कि मार्केट में अभी और बढ़त हो सकती है, इसलिए वे खरीदारी या निवेश करना शुरू करते हैं। हालांकि, यह अक्सर मार्केट के अंतिम चरण का संकेत होता है, और अनुभवी निवेशक इस समय मुनाफा बुक करने पर ध्यान देते हैं।
  • कुछ नए निवेशक इस समय मार्केट में प्रवेश करते हैं क्योंकि वे पिछले लाभ को देखकर प्रेरित होते हैं, लेकिन यह आमतौर पर बड़े सुधार (correction) का पूर्व संकेत हो सकता है।

Wave 5 के बाद क्या होता है:

  • Wave 5 के समाप्त होने के बाद, मार्केट आमतौर पर एक सुधारात्मक चरण में प्रवेश करता है, जिसे A-B-C corrective waves कहा जाता है। यह चरण मार्केट के मुख्य ट्रेंड के उलट होने का संकेत देता है और इसमें बड़ी गिरावट या रुकावट हो सकती है।

Wave 5 का सामान्य आकार:

  • Wave 5 की लंबाई और गति अक्सर Wave 3 से कम होती है। Fibonacci ratios के अनुसार, यह Wave 3 के 61.8% या 100% के बराबर हो सकती है, लेकिन बहुत कम बार यह इससे आगे जाती है।

Wave 5 के दौरान अवसर और जोखिम:

  • निवेशकों के लिए Wave 5 में अवसर होते हैं, लेकिन यह अधिक जोखिम भरा होता है। यह मार्केट में आखिरी उछाल होता है, और इसके बाद अक्सर एक बड़ी सुधारात्मक तरंग आ सकती है। इसलिए, जो निवेशक इस समय में प्रवेश करते हैं, उन्हें सतर्क रहना चाहिए।

निष्कर्ष: Wave 5 Elliott Wave Theory की आखिरी प्रेरणात्मक तरंग है, जो मुख्य ट्रेंड की दिशा में अंतिम उछाल देती है। यह Wave 3 जितनी शक्तिशाली नहीं होती और इसमें वॉल्यूम भी कम हो सकता है। हालांकि, यह तरंग अंतिम लाभ के लिए निवेशकों को आकर्षित करती है, जिसके बाद मार्केट में सुधार की उम्मीद की जाती है। Wave 5 के बाद आमतौर पर A-B-C corrective waves आती हैं, जो मार्केट के ट्रेंड के बदलाव का संकेत देती हैं।

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Wave A Elliott Wave Theory :

Wave A Elliott Wave Theory में सुधारात्मक (corrective) तरंगों का पहला चरण होता है और यह मुख्य ट्रेंड के खिलाफ पहली गिरावट या रुकावट को दर्शाती है। Wave A आमतौर पर पहले के पांच तरंगों (1-5) के प्रेरणात्मक पैटर्न के बाद आती है और यह इस बात का संकेत देती है कि मार्केट अब बदलाव के दौर में प्रवेश कर रहा है। आइए Wave A को विस्तार से समझते हैं:

Wave A की विशेषताएँ:

  1. सुधार (Correction) की शुरुआत:

    • Wave A मुख्य ट्रेंड (जो कि 1-5 तरंगों में था) के अंत के बाद शुरू होती है। यह आम तौर पर उस बुलिश या बियरिश ट्रेंड का पहला बड़ा उलटफेर है, जो यह दर्शाता है कि मार्केट अब एक सुधारात्मक चरण में प्रवेश कर रहा है।
  2. निवेशकों का भ्रम:

    • Wave A के दौरान, कई निवेशक यह समझने में असमर्थ होते हैं कि मार्केट ने अपना ट्रेंड बदल लिया है। वे इसे केवल एक हल्का सुधार मान सकते हैं और सोचते हैं कि मार्केट फिर से मुख्य ट्रेंड की दिशा में जाएगा। इस कारण इस समय मार्केट में बहुत भ्रम और अनिश्चितता होती है।
  3. नकारात्मक भावना:

    • Wave A में मार्केट पहले के मूवमेंट के विपरीत चलता है, जिससे नकारात्मक भावना पैदा होती है। अगर पहले का ट्रेंड बियरिश था, तो Wave A में मार्केट ऊपर की ओर जाता है, और अगर पहले का ट्रेंड बुलिश था, तो Wave A में मार्केट नीचे की ओर गिरता है।
  4. वॉल्यूम और गति में हल्की वृद्धि:

    • Wave A में वॉल्यूम और गति आमतौर पर मध्यम होती है, क्योंकि निवेशक अभी भी पिछले ट्रेंड को लेकर निश्चित नहीं होते। हालांकि, इसमें हल्की तेजी देखी जा सकती है क्योंकि कुछ ट्रेडर्स मार्केट के बदलाव को पहचानने लगते हैं और अपनी पोजीशंस को एडजस्ट करते हैं।
  5. सुधारात्मक पैटर्न:

    • Wave A अक्सर ज़िगज़ैग या फ्लैट पैटर्न में देखी जाती है। इसमें मार्केट अचानक से अपना रुख बदल सकता है, लेकिन यह हमेशा स्पष्ट नहीं होता कि यह परिवर्तन कितनी दूर तक जाएगा। ज़िगज़ैग पैटर्न में, यह एक स्पष्ट सुधारात्मक मूवमेंट होता है, जबकि फ्लैट पैटर्न में मार्केट थोड़ी देर के लिए स्थिर भी रह सकता है।
  6. निवेशकों का आत्मविश्वास:

    • इस समय पर बहुत से निवेशक अभी भी मार्केट के पिछले ट्रेंड में विश्वास रखते हैं और यह सोचते हैं कि यह केवल एक अस्थायी सुधार है। इस वजह से, Wave A में अक्सर बहुत सारे निवेशक अपनी पोजीशंस को पकड़े रहते हैं।

Wave A के दौरान निवेशकों का व्यवहार:

  • बुलिश ट्रेंड के बाद यदि Wave A आती है, तो यह एक गिरावट होती है और इस समय पर बहुत से निवेशक इस गिरावट को एक "बायिंग अपॉर्च्युनिटी" (खरीदने का मौका) समझते हैं। वे यह सोचते हैं कि मार्केट जल्द ही फिर से ऊपर जाएगा।
  • बियरिश ट्रेंड के बाद यदि Wave A आती है, तो यह एक तेजी की ओर होती है, और निवेशक यह सोच सकते हैं कि मार्केट का निचला स्तर आ चुका है, इसलिए वे इसे खरीदारी का अवसर मानते हैं।

Wave A के बाद क्या होता है:

  • Wave A के बाद, Wave B आती है, जो एक और सुधारात्मक तरंग है। Wave B आमतौर पर Wave A का कुछ हिस्सा वापस ले लेती है, लेकिन यह सुधारात्मक चरण को जारी रखने से पहले होती है। Wave B के बाद अंतिम सुधारात्मक तरंग, Wave C, आती है।

Wave A का सामान्य आकार:

  • Wave A का आकार अक्सर पिछले मुख्य ट्रेंड (Wave 5) के 38.2% या 50% तक का सुधार हो सकता है (Fibonacci retracement के आधार पर)। हालांकि, इसका सटीक आकार और दिशा मार्केट की वर्तमान स्थितियों पर निर्भर करता है।

Wave A में सावधानी:

  • चूंकि Wave A अक्सर भ्रम पैदा करती है, इस दौरान निवेशकों को सतर्क रहना चाहिए। यह मार्केट के ट्रेंड के बदलाव की शुरुआत होती है, और जो निवेशक इसे केवल एक छोटा सुधार मानते हैं, वे बाद में परेशानी में आ सकते हैं।

निष्कर्ष: Wave A एक सुधारात्मक तरंग है जो मुख्य ट्रेंड के अंत के बाद आती है और मार्केट में शुरुआती उलटफेर का संकेत देती है। इसमें अक्सर निवेशकों के बीच भ्रम और अनिश्चितता होती है, और वे इसे मुख्य ट्रेंड का अस्थायी सुधार मान सकते हैं। हालांकि, यह मार्केट में बड़े बदलाव की शुरुआत का संकेत हो सकता है, जिसे Wave B और Wave C के साथ पूरा किया जाता है।

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Wave B Elliott Wave Theory :

Wave B Elliott Wave Theory की दूसरी सुधारात्मक तरंग होती है, जो कि Wave A के बाद आती है। यह तरंग आमतौर पर उस सुधारात्मक चरण का हिस्सा होती है, जिसमें मार्केट पहले के मूवमेंट के एक हिस्से की वापसी करता है, लेकिन यह अभी भी मुख्य ट्रेंड के खिलाफ होती है। आइए Wave B को विस्तार से समझते हैं:

Wave B की विशेषताएँ:

  1. सुधारात्मक पैटर्न:

    • Wave B Wave A के बाद आती है और यह अक्सर उस ट्रेंड के कुछ हिस्से को वापस ले जाती है। यह तरंग सुधारात्मक होती है और इसका पैटर्न अक्सर ज़िगज़ैग या फ्लैट होता है।
  2. निवेशकों का आत्मविश्वास:

    • Wave B के दौरान, कुछ निवेशक मार्केट में विश्वास करना शुरू कर देते हैं कि पिछले ट्रेंड (जैसे Wave 1-5) में वापसी हो सकती है। इस समय, बाजार में सकारात्मक भावना लौटने लगती है, क्योंकि निवेशक यह मान लेते हैं कि सुधार खत्म हो गया है।
  3. Wave A की तुलना में तेजी:

    • Wave B अक्सर Wave A की तुलना में अधिक तेजी से बढ़ सकती है। यह तब होता है जब निवेशक आशा करते हैं कि मार्केट फिर से ऊँचाई तक पहुंच सकता है। हालांकि, यह तेजी आमतौर पर अस्थायी होती है, और यह मार्केट के मुख्य ट्रेंड के खिलाफ होती है।
  4. वॉल्यूम में परिवर्तन:

    • Wave B के दौरान वॉल्यूम अक्सर बढ़ता है, क्योंकि कई निवेशक खरीदारी करना शुरू कर देते हैं। हालांकि, यह वॉल्यूम Wave 3 के मुकाबले कम हो सकता है, क्योंकि यह एक सुधारात्मक चरण होता है।
  5. बाजार की अनिश्चितता:

    • Wave B में अनिश्चितता बनी रहती है, क्योंकि निवेशकों का विश्वास अभी भी स्थिर नहीं होता। वे आशंकित होते हैं कि यह केवल एक अस्थायी उछाल है और इसे सुधारात्मक चरण के अंत के रूप में नहीं देखते हैं।
  6. Wave C की तैयारी:

    • Wave B के बाद, आमतौर पर Wave C आती है, जो कि एक और गिरावट या रुकावट होती है। Wave C अक्सर Wave A की तुलना में अधिक स्पष्ट और तीव्र होती है, और यह मार्केट के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत देती है कि सुधार का चरण अब समाप्त हो रहा है।

Wave B के दौरान निवेशकों का व्यवहार:

  • Wave B में निवेशकों का मनोबल काफी ऊँचा हो सकता है, क्योंकि वे मानते हैं कि मार्केट फिर से मुख्य ट्रेंड की दिशा में बढ़ रहा है।
  • नए निवेशक इस समय में प्रवेश कर सकते हैं, जबकि कुछ पुराने निवेशक अपने मुनाफे को बुक करने की योजना बना सकते हैं।

Wave B के बाद क्या होता है:

  • Wave B के बाद, Wave C आती है, जो कि Wave A के विपरीत दिशा में होती है और अक्सर इसे पूरा करती है। Wave C आमतौर पर Wave A से अधिक तीव्र और स्पष्ट होती है, जिससे मार्केट में बड़ी गिरावट आती है।

Wave B का सामान्य आकार:

  • Wave B की लंबाई आमतौर पर Wave A की तुलना में होती है। यह Wave A का 50% या 61.8% तक वापस आ सकती है, लेकिन इससे अधिक नहीं।

Wave B में जोखिम:

  • निवेशकों को Wave B के दौरान सतर्क रहना चाहिए, क्योंकि यह अक्सर एक धोखे का संकेत हो सकता है। यदि वे इसे एक नई शुरुआत मानते हैं, तो वे Wave C के दौरान नुकसान में आ सकते हैं।

निष्कर्ष: Wave B एक सुधारात्मक तरंग है जो Wave A के बाद आती है। यह तरंग उस ट्रेंड के कुछ हिस्से को वापस ले जाती है और निवेशकों में सकारात्मक भावना उत्पन्न कर सकती है, लेकिन यह मुख्य ट्रेंड के खिलाफ होती है। Wave B के बाद आमतौर पर Wave C आती है, जो कि एक महत्वपूर्ण गिरावट का संकेत देती है। निवेशकों को इस दौरान सावधान रहना चाहिए, क्योंकि यह मार्केट के सुधारात्मक चरण का हिस्सा है।

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Wave C Elliott Wave Theory :

Wave C Elliott Wave Theory की तीसरी और अंतिम सुधारात्मक तरंग होती है, जो Wave A और Wave B के बाद आती है। यह तरंग आमतौर पर एक मजबूत गिरावट या रुकावट को दर्शाती है और यह मार्केट में सुधारात्मक चरण का अंतिम भाग होती है। आइए Wave C को विस्तार से समझते हैं:

Wave C की विशेषताएँ:

  1. सुधारात्मक चरण का अंत:

    • Wave C, सुधारात्मक चरण का अंतिम भाग होती है, जो Wave A के बाद आती है। यह मुख्य ट्रेंड के खिलाफ एक मजबूत मूवमेंट होती है और आमतौर पर इस सुधार का सबसे तीव्र हिस्सा होती है।
  2. मजबूत गति:

    • Wave C में आमतौर पर तेज गति और वॉल्यूम देखने को मिलते हैं। यह तरंग अक्सर निवेशकों के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत होती है कि बाजार में तेजी से गिरावट आ रही है।
  3. निवेशकों का व्यवहार:

    • Wave B के दौरान निवेशकों के बीच सकारात्मक भावना बनी रहती है, लेकिन जैसे ही Wave C शुरू होती है, निवेशक आशंकित होने लगते हैं। बहुत से निवेशक अपने पोजीशंस को बंद करने या मुनाफा बुक करने की कोशिश करते हैं, जिससे Wave C की गति तेज हो जाती है।
  4. सुधारात्मक पैटर्न:

    • Wave C का पैटर्न आमतौर पर ज़िगज़ैग या फ्लैट पैटर्न में होता है, जिसमें एक स्पष्ट गिरावट होती है। यह तरंग Wave A की तुलना में अधिक तीव्र और स्पष्ट होती है।
  5. Wave A की तुलना:

    • Wave C की लंबाई आमतौर पर Wave A के बराबर या उससे अधिक हो सकती है। इसमें अक्सर 100% या 161.8% तक की गिरावट देखी जा सकती है, जो कि Fibonacci retracement levels के आधार पर होती है।
  6. बाजार का मनोविज्ञान:

    • Wave C में निवेशकों के बीच बेचने की भावना बढ़ जाती है। बाजार में अस्थिरता और अनिश्चितता बढ़ जाती है, जिससे और अधिक गिरावट की संभावना बनती है।

Wave C के दौरान निवेशकों का व्यवहार:

  • इस चरण में, अधिकांश निवेशक नुकसान को सीमित करने के लिए अपनी पोजीशंस को बंद करने की कोशिश करते हैं। कुछ नए निवेशक इस समय को खरीदारी के अवसर के रूप में देख सकते हैं, लेकिन यह आमतौर पर एक खतरनाक समय होता है, क्योंकि सुधारात्मक चरण का अंत हो सकता है।

Wave C के बाद क्या होता है:

  • Wave C के समाप्त होने के बाद, आमतौर पर बाजार एक नए रुझान में प्रवेश करता है, जो कि एक नया बुल मार्केट या बियर मार्केट हो सकता है। Wave C के बाद, मार्केट में सुधारात्मक चरण के बाद नए प्रेरणात्मक तरंगों (1-5) की शुरुआत होती है।

Wave C का सामान्य आकार:

  • Wave C की लंबाई आमतौर पर Wave A के बराबर होती है, लेकिन यह कभी-कभी Wave A की लंबाई से अधिक भी हो सकती है। Fibonacci levels के अनुसार, यह Wave A के 100% या 161.8% तक भी जा सकती है।

Wave C में जोखिम:

  • निवेशकों को Wave C के दौरान सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है। क्योंकि यह एक बहुत ही अस्थिर समय होता है, और जो निवेशक इस दौरान गलत निर्णय लेते हैं, वे बड़े नुकसान में आ सकते हैं।

निष्कर्ष: Wave C एक सुधारात्मक तरंग है जो Wave A और Wave B के बाद आती है। यह तरंग मुख्य ट्रेंड के खिलाफ एक तेज गिरावट या रुकावट को दर्शाती है और अक्सर निवेशकों के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत होती है कि बाजार में सुधारात्मक चरण का अंत हो रहा है। Wave C की तीव्रता और गति इसे Wave A से अलग बनाती है, और इसके बाद नए प्रेरणात्मक तरंगों की शुरुआत होती है। निवेशकों को इस समय में सतर्क रहना चाहिए, क्योंकि यह बहुत अस्थिर हो सकता है।


Reference website : https://elliottwavemonitor.com/elliott-wave-theory/

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