म्यूचुअल फंड के विभिन्न प्रकार और उनकी विशेषताएँ

 

म्यूचुअल फंड के विभिन्न प्रकार और उनकी विशेषताएँ

म्यूचुअल फंड निवेशकों के लिए विभिन्न श्रेणियों में उपलब्ध हैं, जो उनकी जोखिम उठाने की क्षमता और निवेश उद्देश्यों के अनुसार भिन्न होते हैं। नीचे दिए गए म्यूचुअल फंड की विभिन्न श्रेणियाँ और उनके विवरण हैं।

1. इक्विटी फंड्स (Equity Funds)

इक्विटी फंड मुख्य रूप से शेयर बाजार में निवेश करते हैं और उच्च रिटर्न प्रदान करने की क्षमता रखते हैं। हालाँकि, इनमें जोखिम भी अधिक होता है।

प्रमुख प्रकार:

  • मल्टी कैप फंड (Multi Cap Fund): विभिन्न मार्केट कैप कंपनियों (लार्ज, मिड और स्मॉल) में निवेश करता है।

  • फ्लेक्सी कैप फंड (Flexi Cap Fund): फंड मैनेजर को किसी भी मार्केट कैप में निवेश की स्वतंत्रता होती है।

  • लार्ज कैप फंड (Large Cap Fund): टॉप 100 बड़ी कंपनियों में निवेश करता है, जो स्थिरता और स्थायी रिटर्न प्रदान करते हैं।

  • लार्ज एंड मिड कैप फंड (Large & Mid Cap Fund): लार्ज और मिड कैप कंपनियों का मिश्रण होता है।

  • मिड कैप फंड (Mid Cap Fund): मिड कैप कंपनियों में निवेश करता है, जिसमें जोखिम और संभावित रिटर्न अधिक होते हैं।

  • स्मॉल कैप फंड (Small Cap Fund): छोटी कंपनियों में निवेश करता है, जिनमें उच्च वृद्धि की संभावना होती है।

  • डिविडेंड यील्ड फंड (Dividend Yield Fund): उन कंपनियों में निवेश करता है जो नियमित रूप से डिविडेंड देती हैं।

  • वैल्यू फंड (Value Fund): उन स्टॉक्स में निवेश करता है जो कम मूल्यांकन के बावजूद लंबी अवधि में अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं।

  • कॉंट्रा फंड (Contra Fund): विपरीत निवेश रणनीति अपनाता है, यानी जब बाजार में गिरावट हो तब निवेश करता है।

  • फोकस्ड फंड (Focused Fund): सीमित संख्या में कंपनियों में निवेश करता है।

  • सेक्टोरल/थीमैटिक फंड (Sectoral/Thematic Fund): किसी विशेष क्षेत्र (जैसे IT, बैंकिंग, फार्मा) में निवेश करता है।

  • ELSS (Equity Linked Savings Scheme): कर बचत के लिए लोकप्रिय फंड, जिसमें लॉक-इन पीरियड 3 साल होता है।


2. डेट फंड्स (Debt Funds)

डेट फंड्स मुख्य रूप से बॉन्ड, ट्रेजरी बिल्स और अन्य निश्चित आय उपकरणों में निवेश करते हैं। इनका जोखिम इक्विटी फंड्स की तुलना में कम होता है।

प्रमुख प्रकार:

  • ओवरनाइट फंड (Overnight Fund): एक दिन की परिपक्वता वाले साधनों में निवेश करता है।

  • मनी मार्केट फंड (Money Market Fund): अल्पकालिक डेट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करता है।

  • लिक्विड फंड (Liquid Fund): 91 दिनों तक की परिपक्वता वाली सिक्योरिटीज में निवेश करता है।

  • अल्ट्रा शॉर्ट ड्यूरेशन फंड (Ultra Short Duration Fund): 3-6 महीनों की अवधि के डेट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करता है।

  • लो ड्यूरेशन फंड (Low Duration Fund): 6-12 महीनों की परिपक्वता वाले बॉन्ड्स में निवेश करता है।

  • शॉर्ट ड्यूरेशन फंड (Short Duration Fund): 1-3 साल की अवधि वाले डेट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करता है।

  • मीडियम ड्यूरेशन फंड (Medium Duration Fund): 3-4 वर्षों के निवेश अवधि वाले बॉन्ड्स में निवेश करता है।

  • मीडियम टू लॉन्ग ड्यूरेशन फंड (Medium to Long Duration Fund): 4-7 साल के बॉन्ड्स में निवेश करता है।

  • लॉन्ग ड्यूरेशन फंड (Long Duration Fund): 7 साल या उससे अधिक अवधि के डेट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करता है।

  • डायनामिक बॉन्ड फंड (Dynamic Bond Fund): ब्याज दर परिवर्तनों के अनुसार रणनीति बदलता है।

  • कॉरपोरेट बॉन्ड फंड (Corporate Bond Fund): AAA रेटेड कॉरपोरेट बॉन्ड्स में निवेश करता है।

  • क्रेडिट रिस्क फंड (Credit Risk Fund): लो-रेटेड बॉन्ड्स में निवेश करता है जो उच्च रिटर्न प्रदान कर सकते हैं।

  • बैंकिंग एंड PSU फंड (Banking & PSU Fund): बैंक और पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग बॉन्ड्स में निवेश करता है।

  • गिल्ट फंड (Gilt Fund): सरकारी बॉन्ड्स में निवेश करता है।


3. हाइब्रिड फंड्स (Hybrid Funds)

हाइब्रिड फंड्स इक्विटी और डेट इंस्ट्रूमेंट्स दोनों में निवेश करते हैं।

प्रमुख प्रकार:

  • कंज़र्वेटिव हाइब्रिड फंड (Conservative Hybrid Fund): डेट इंस्ट्रूमेंट्स में अधिक और इक्विटी में कम निवेश करता है।

  • एग्रेसिव हाइब्रिड फंड (Aggressive Hybrid Fund): इक्विटी में अधिक और डेट में कम निवेश करता है।

  • डायनामिक एसेट एलोकेशन (Dynamic Asset Allocation Fund): मार्केट कंडीशन के अनुसार इक्विटी और डेट आवंटन बदलता है।

  • गिल्ट फंड विद 10 ईयर ड्यूरेशन (Gilt Fund with 10-year Duration): सरकारी बॉन्ड्स में निवेश करता है।

  • फ्लोटर फंड (Floater Fund): फ्लोटिंग रेट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करता है।

  • मल्टी एसेट एलोकेशन फंड (Multi Asset Allocation Fund): इक्विटी, डेट और गोल्ड जैसे अन्य एसेट क्लास में निवेश करता है।

  • आर्बिट्राज फंड (Arbitrage Fund): बाजार की अस्थिरता का लाभ उठाकर निवेश करता है।

  • इक्विटी सेविंग्स फंड (Equity Savings Fund): इक्विटी, डेट और आर्बिट्राज का मिश्रण होता है।


4. सॉल्यूशन ओरिएंटेड फंड्स (Solution Oriented Funds)

ये विशेष लक्ष्यों के लिए बनाए गए फंड्स होते हैं।

  • रिटायरमेंट फंड (Retirement Fund): लंबी अवधि के लिए निवेश, मुख्य रूप से रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए।

  • चिल्ड्रन्स फंड (Children’s Fund): बच्चों की शिक्षा और भविष्य की योजनाओं के लिए।


5. अन्य फंड्स (Other Funds)

  • इंडेक्स फंड्स (Index Funds): किसी विशेष इंडेक्स (जैसे NIFTY 50) को ट्रैक करता है।

  • ईटीएफ - गोल्ड (ETFs - Gold): गोल्ड में निवेश करता है।

  • ईटीएफ - अन्य (ETFs - Others): अन्य एसेट्स पर आधारित होते हैं।

  • FoFs डोमेस्टिक (FoFs Domestic): अन्य घरेलू म्यूचुअल फंड्स में निवेश करता है।

  • FoFs ओवरसीज (FoFs Overseas): अंतरराष्ट्रीय म्यूचुअल फंड्स में निवेश करता है।

निष्कर्ष:

म्यूचुअल फंड्स में निवेश करने से पहले अपने निवेश उद्देश्य, जोखिम क्षमता और समय अवधि को ध्यान में रखें। सही फंड का चयन करके आप अपने वित्तीय लक्ष्यों को पूरा कर सकते हैं।

यहाँ कुछ महत्वपूर्ण कीवर्ड दिए गए हैं जो म्यूचुअल फंड्स से संबंधित हैं:

सामान्य कीवर्ड्स:

  • म्यूचुअल फंड (Mutual Fund)
  • एनएवी (NAV - Net Asset Value)
  • एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC - Asset Management Company)
  • एसआईपी (SIP - Systematic Investment Plan)
  • एसटीपी (STP - Systematic Transfer Plan)
  • एसडब्ल्यूपी (SWP - Systematic Withdrawal Plan)
  • फंड मैनेजर (Fund Manager)
  • एक्सपेंस रेशियो (Expense Ratio)
  • लिक्विडिटी (Liquidity)
  • रिस्क अपेटाइट (Risk Appetite)
  • एयूएम (AUM - Assets Under Management)

इक्विटी फंड्स:

  • लार्ज कैप फंड (Large Cap Fund)
  • मिड कैप फंड (Mid Cap Fund)
  • स्मॉल कैप फंड (Small Cap Fund)
  • मल्टी कैप फंड (Multi Cap Fund)
  • फ्लेक्सी कैप फंड (Flexi Cap Fund)
  • वैल्यू फंड (Value Fund)
  • कॉंट्रा फंड (Contra Fund)
  • सेक्टोरल फंड (Sectoral Fund)
  • फोकस्ड फंड (Focused Fund)
  • ईएलएसएस (ELSS - Equity Linked Savings Scheme)

डेट फंड्स:

  • गिल्ट फंड (Gilt Fund)
  • लिक्विड फंड (Liquid Fund)
  • क्रेडिट रिस्क फंड (Credit Risk Fund)
  • डायनामिक बॉन्ड फंड (Dynamic Bond Fund)
  • कॉरपोरेट बॉन्ड फंड (Corporate Bond Fund)
  • मनी मार्केट फंड (Money Market Fund)
  • लो ड्यूरेशन फंड (Low Duration Fund)
  • लॉन्ग ड्यूरेशन फंड (Long Duration Fund)

हाइब्रिड और अन्य फंड्स:

  • कंजर्वेटिव हाइब्रिड फंड (Conservative Hybrid Fund)
  • एग्रेसिव हाइब्रिड फंड (Aggressive Hybrid Fund)
  • मल्टी एसेट एलोकेशन फंड (Multi Asset Allocation Fund)
  • आर्बिट्राज फंड (Arbitrage Fund)
  • इक्विटी सेविंग्स फंड (Equity Savings Fund)
  • रिटायरमेंट फंड (Retirement Fund)
  • चिल्ड्रेंस फंड (Children’s Fund)
  • इंडेक्स फंड (Index Fund)
  • गोल्ड ईटीएफ (Gold ETF)
  • FoFs (Fund of Funds)

हाँ पर म्यूचुअल फंड्स की विभिन्न श्रेणियों का हिंदी में विवरण दिया गया है:

डेब्ट फंड्स (ऋण आधारित फंड्स)

  1. ओवरनाइट फंड्स: 1 दिन की परिपक्वता वाली ओवरनाइट प्रतिभूतियों में निवेश।
  2. मनी मार्केट फंड: 1 वर्ष तक की परिपक्वता वाले मनी मार्केट उपकरणों में निवेश।
  3. लिक्विड फंड्स: 91 दिनों तक की परिपक्वता वाले डेट और मनी मार्केट प्रतिभूतियों में निवेश।
  4. अल्ट्रा शॉर्ट ड्यूरेशन फंड: 3-6 महीने के मैकॉले ड्यूरेशन वाले डेट और मनी मार्केट उपकरणों में निवेश।
  5. लो ड्यूरेशन फंड: 6-12 महीने के मैकॉले ड्यूरेशन वाले डेट और मनी मार्केट उपकरणों में निवेश।
  6. शॉर्ट ड्यूरेशन फंड: 1-3 साल के मैकॉले ड्यूरेशन वाले डेट और मनी मार्केट उपकरणों में निवेश।
  7. मीडियम ड्यूरेशन फंड: 3-4 साल के मैकॉले ड्यूरेशन वाले डेट और मनी मार्केट उपकरणों में निवेश।
  8. मीडियम टू लॉन्ग ड्यूरेशन फंड: 4-7 साल के मैकॉले ड्यूरेशन वाले डेट और मनी मार्केट उपकरणों में निवेश।
  9. लॉन्ग ड्यूरेशन फंड: 7 साल से अधिक के मैकॉले ड्यूरेशन वाले डेट और मनी मार्केट उपकरणों में निवेश।
  10. डायनामिक बॉन्ड फंड: विभिन्न परिपक्वता अवधि में निवेश।
  11. कॉरपोरेट बॉन्ड फंड: उच्चतम रेटिंग वाले कॉरपोरेट बॉन्ड्स में न्यूनतम 80% निवेश।
  12. क्रेडिट रिस्क फंड: निम्नतम रेटिंग वाले कॉरपोरेट बॉन्ड्स में न्यूनतम 65% निवेश।
  13. बैंकिंग और पीएसयू फंड: बैंकों, सार्वजनिक उपक्रमों और सार्वजनिक वित्तीय संस्थानों के डेट उपकरणों में न्यूनतम 80% निवेश।
  14. गिल्ट फंड: सरकारी प्रतिभूतियों (Gsecs) में न्यूनतम 80% निवेश।
  15. गिल्ट 10 ईयर्स फंड: 10 साल के मैकॉले ड्यूरेशन वाले Gsecs में न्यूनतम 80% निवेश।
  16. फ्लोटर फंड: फ्लोटिंग रेट उपकरणों में न्यूनतम 65% निवेश।

हाइब्रिड फंड्स

  1. कंजर्वेटिव हाइब्रिड फंड: इक्विटी और संबंधित उपकरणों में 10-25%, डेट उपकरणों में 75-90% निवेश।
  2. बैलेंस्ड हाइब्रिड / एग्रेसिव हाइब्रिड फंड:
    • बैलेंस्ड हाइब्रिड: इक्विटी और डेट दोनों में 40-60% निवेश।
    • एग्रेसिव हाइब्रिड: इक्विटी में 65-80% और डेट में 20-35% निवेश।
  3. डायनामिक एसेट एलोकेशन / बैलेंस्ड एडवांटेज फंड: इक्विटी और डेट में गतिशील रूप से निवेश प्रबंधन।
  4. मल्टी एसेट एलोकेशन फंड: न्यूनतम तीन एसेट क्लास में 10% प्रत्येक का निवेश।
  5. आर्बिट्राज फंड: आर्बिट्राज रणनीति का पालन करने वाली योजना। इक्विटी में न्यूनतम 65% निवेश।
  6. इक्विटी सेविंग्स फंड: इक्विटी में न्यूनतम 65% और डेट में न्यूनतम 10% निवेश।

सॉल्यूशन ओरिएंटेड फंड्स

  1. रिटायरमेंट फंड्स: कम से कम 5 साल या रिटायरमेंट तक लॉक-इन अवधि।
  2. चिल्ड्रन्स फंड्स: कम से कम 5 साल या बच्चे की वयस्कता तक लॉक-इन अवधि।

इक्विटी फंड्स

  1. मल्टीकैप फंड: इक्विटी और संबंधित उपकरणों में न्यूनतम 65% निवेश।
  2. लार्ज कैप फंड: लार्ज कैप कंपनियों के इक्विटी और संबंधित उपकरणों में न्यूनतम 80% निवेश।
  3. लार्ज एंड मिडकैप फंड: लार्ज और मिड कैप कंपनियों के इक्विटी में न्यूनतम 35% - 35% निवेश।
  4. मिडकैप फंड: मिडकैप कंपनियों के इक्विटी और संबंधित उपकरणों में न्यूनतम 65% निवेश।
  5. स्मॉल कैप फंड: स्मॉल कैप कंपनियों के इक्विटी और संबंधित उपकरणों में न्यूनतम 65% निवेश।
  6. डिविडेंड यील्ड फंड: मुख्य रूप से डिविडेंड यील्डिंग स्टॉक्स में निवेश। इक्विटी में न्यूनतम 65% निवेश।
  7. वैल्यू / कॉंट्रा फंड: वैल्यू और कंट्रेरियन निवेश रणनीति का पालन करने वाली योजना। इक्विटी में न्यूनतम 65% निवेश।
  8. फोकस्ड फंड: अधिकतम 30 शेयरों पर केंद्रित योजना। इक्विटी में न्यूनतम 65% निवेश।
  9. सेक्टोरल / थीमैटिक फंड: विशेष सेक्टर या थीम में न्यूनतम 80% निवेश।
  10. ईएलएसएस (Equity Linked Saving Scheme): कर बचत योजना। इक्विटी में न्यूनतम 80% निवेश।

अन्य फंड्स

  1. इंडेक्स / ईटीएफ फंड: किसी विशिष्ट इंडेक्स की प्रतिभूतियों में न्यूनतम 95% निवेश।
  2. फंड ऑफ फंड्स (विदेशी / घरेलू): किसी अन्य अंडरलाइंग फंड में न्यूनतम 95% निवेश।

यह सभी म्यूचुअल फंड कैटेगरी विभिन्न निवेश उद्देश्यों और जोखिम क्षमताओं के आधार पर निवेशकों के लिए उपलब्ध हैं।


नोट:

बीटा (Beta): बीटा पोर्टफोलियो के बाज़ार जोखिम या प्रणालीगत जोखिम को मापता है। इसे पोर्टफोलियो का अविभाज्य जोखिम भी कहा जाता है। यदि बीटा 1 से अधिक है, तो यह दर्शाता है कि फंड का जोखिम व्यापक बाज़ार की तुलना में अधिक है। यदि बीटा 1 है, तो फंड का जोखिम बाज़ार के बराबर है। यदि बीटा 1 से कम है, तो यह दर्शाता है कि फंड का जोखिम व्यापक बाज़ार की तुलना में कम है।

नियतांक निर्धारण, आर-स्क्वायर्ड (R-Squared): यह एक सांख्यिकीय माप है जो यह दर्शाता है कि किसी फंड का रिटर्न कितने प्रतिशत तक बेंचमार्क इंडेक्स के परिवर्तनों के अनुरूप है। इसकी मान्यताएँ 0 से 100 तक होती हैं। 85-100 के बीच का उच्च आर-स्क्वायर्ड दर्शाता है कि फंड का प्रदर्शन बेंचमार्क इंडेक्स के अनुरूप रहेगा।

जेन्सन का अल्फा (Jensen's Alpha): यह दर्शाता है कि किसी पोर्टफोलियो का औसत रिटर्न कैपिटल एसेट प्राइसिंग मॉडल द्वारा अनुमानित रिटर्न से अधिक है या नहीं। यह फंड मैनेजर की जोखिम-समायोजित रिटर्न उत्पन्न करने की क्षमता को दर्शाता है, जो स्टॉक चयन कौशल के माध्यम से संभव होती है।

औसत परिपक्वता (Average Maturity): किसी पोर्टफोलियो में रखी गई सभी निश्चित अवधि वाली ऋण प्रतिभूतियों की औसत परिपक्वता को दर्शाता है। यदि ब्याज दरें बढ़ रही हैं, तो कम औसत परिपक्वता वाले फंड को प्राथमिकता दी जाती है क्योंकि वे ब्याज दरों में वृद्धि से कम प्रभावित होते हैं।

यील्ड टू मैच्योरिटी (Yield To Maturity): इसे विमोचन यील्ड (Redemption Yield) भी कहा जाता है। जैसा कि नाम से पता चलता है, यदि कोई निवेश अपनी परिपक्वता तिथि तक रखा जाता है, तो यह जो रिटर्न उत्पन्न करेगा, उसे यील्ड टू मैच्योरिटी कहा जाता है।

शार्प अनुपात (Sharpe Ratio): शार्प अनुपात (जिसे शार्प इंडेक्स, शार्प माप, और रिवॉर्ड-टू-वेरिएबिलिटी अनुपात भी कहा जाता है) किसी निवेश के प्रदर्शन की समीक्षा करने का एक तरीका है, जो उसके जोखिम को ध्यान में रखता है।

व्यय अनुपात (Expense Ratio): व्यय अनुपात एक फंड के प्रबंधन की प्रति इकाई लागत को मापता है। इसे फंड के कुल व्यय को उसके प्रबंधित परिसंपत्तियों (AUM) से विभाजित करके गणना किया जाता है।

लोड (Load): म्यूचुअल फंड लोड वह शुल्क होता है, जो तब लगाया जाता है जब कोई निवेशक फंड शेयरों में लेन-देन करता है। लोड को फंड शेयरों की खरीद (फ्रंट-एंड लोड) या बिक्री (बैक-एंड लोड) पर लगाया जा सकता है। कुछ फंड ऐसे भी होते हैं जो लोड नहीं लेते, जिन्हें "नो-लोड" फंड कहा जाता है।
अन्य नाम: फ्रंट-एंड लोड को बिक्री कमीशन कहा जाता है, और बैक-एंड लोड को कंटिंजेंट डिफर्ड सेल्स चार्ज (CDSC) कहा जाता है।

अनुपात मापदंड (Ratios Parameters):

  • तिथि सीमा: 3 वर्ष
  • रोलिंग अवधि: 1 माह
  • आवृत्ति: दैनिक
  • ग्रहण किया गया जोखिम-मुक्त दर: 5.5

रेटिंग बकेट्स (Rating Buckets):

  • AA माइनस और उससे ऊपर
  • AA माइनस से नीचे

रोलिंग रिटर्न (Rolling Returns):

  • तिथि सीमा: 1 वर्ष
  • रोलिंग अवधि: 1 माह
  • आवृत्ति: दैनिक

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म्यूचुअल फंड कमीशन स्ट्रक्चर (Mutual Fund Commission Structure) 

वह शुल्क और कमीशन होते हैं जो म्यूचुअल फंड वितरकों, बिचौलियों, या एजेंटों को निवेशकों से निवेश कराने के लिए दिए जाते हैं। यह कमीशन विभिन्न तरीकों से लिया जा सकता है, जैसे फ्रंट-एंड लोड, बैक-एंड लोड, ट्रेल कमीशन आदि।

मुख्य प्रकार के कमीशन स्ट्रक्चर:

1. फ्रंट-एंड लोड (Front-End Load)

  • यह शुल्क निवेश के समय लिया जाता है।
  • निवेशक जो भी राशि फंड में लगाता है, उसमें से पहले ही एक निश्चित प्रतिशत काट लिया जाता है।
  • उदाहरण: यदि फ्रंट-एंड लोड 2% है और आप ₹10,000 निवेश करते हैं, तो ₹200 शुल्क के रूप में काट लिया जाएगा, और ₹9,800 निवेश किया जाएगा।

2. बैक-एंड लोड (Back-End Load) / एग्जिट लोड (Exit Load)

  • यह शुल्क तब लगाया जाता है जब निवेशक अपनी यूनिट्स को बेचकर फंड से बाहर निकलता है।
  • आमतौर पर, यह शुल्क पहले कुछ वर्षों तक लागू रहता है और समय के साथ कम हो जाता है।
  • उदाहरण: यदि बैक-एंड लोड 1% है और आप ₹10,000 की यूनिट्स बेचते हैं, तो आपको ₹9,900 मिलेंगे और ₹100 शुल्क के रूप में काट लिया जाएगा।

3. नो-लोड फंड (No-Load Fund)

  • ऐसे फंड जिनमें कोई फ्रंट-एंड या बैक-एंड लोड नहीं होता।
  • निवेशक को कोई कमीशन नहीं देना पड़ता।

4. ट्रेल कमीशन (Trail Commission)

  • यह कमीशन म्यूचुअल फंड वितरकों को फंड हाउस द्वारा दिया जाता है, जब तक कि निवेशक अपने पैसे फंड में रखता है।
  • यह आमतौर पर 0.5% से 1.5% प्रति वर्ष के रूप में होता है।
  • यह वितरकों को निवेशकों को लंबे समय तक फंड में बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित करता है।

कौन-कौन कमीशन प्राप्त करता है?

  1. म्यूचुअल फंड एजेंट / वितरक (Mutual Fund Distributors)
  2. बैंक एवं ब्रोकरेज फर्म (Banks & Brokerage Firms)
  3. ऑनलाइन प्लेटफॉर्म (Online Investment Platforms)

कैसे पता करें कि कौन सा कमीशन लागू होगा?

  • ऑफर डॉक्यूमेंट (Offer Document) और स्कीम इंफॉर्मेशन डॉक्यूमेंट (SID) को ध्यान से पढ़ें।
  • डायरेक्ट प्लान (Direct Plan) और रेगुलर प्लान (Regular Plan) की तुलना करें। डायरेक्ट प्लान में ट्रेल कमीशन नहीं होता।

निष्कर्ष:

म्यूचुअल फंड कमीशन स्ट्रक्चर निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उनके कुल रिटर्न को प्रभावित करता है। कम शुल्क वाले फंड आमतौर पर अधिक लाभकारी हो सकते हैं, लेकिन वितरक की सेवाओं की गुणवत्ता भी महत्वपूर्ण होती है।

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