बीमा || Insurance
समुद्र बीमा विधि 1906
जीवन बीमा विधि 1774
बीमा करने वाला compny = बीमाकर्ता
बीमा कराने वाला व्यक्ति = बीमाकृत = बीमा धारक = बीमित
बीमा = फारसी शब्द = जिम्मेदारी लेना = आगोप = insurance
बीमा (इन्शुरन्स) क्या है?
बीमा (इंश्योरेंस) उस साधन को कहते हैं जिसके द्वारा कुछ शुल्क (प्रीमियम) देकर हानि का जोखिम दूसरे पक्ष (बीमाकार या बीमाकर्ता) पर डाला जा सकता है। जिस पक्ष का जोखिम बीमाकर पर डाला जाता है उसे 'बीमाकृत' कहते हैं। बीमाकार आमतौर पर एक कंपनी होती है जो बीमाकृत के हानि या क्षति को बांटने को तैयार रहती है और ऐसा करने में वह समर्थ होती है।
बीमा वास्तव में बीमाकर्ता और बीमाकृत के बीच अनुबंध है जिसमें बीमाकर्ता बीमाकृत से एक निश्चित रकम (प्रीमियम) के बदले किसी निश्चित घटना के घटित होने (जैसे कि एक निश्चित आयु की समाप्ति या मृत्यु की स्थिति में) पर एक निश्चित रकम देता है या फिर बीमाकृत की जोखिम से होने वाले वास्तविक हानि की क्षतिपूर्ति करता है।
बीमा के क्या कार्य है?
बीमा का प्रमुख कार्य हानि की संभावना से बचाव करना है। नुकसान का समय और राशि अप्रत्याशित होती है, और यदि कोई जोखिम होता है, तो बीमा न होने पर व्यक्ति को नुकसान उठाना पड़ेगा। बीमा सुनिश्चित करता है कि नुकसान का भुगतान किया जाएगा और इस तरह बीमा धारक को पीड़ा से बचाता है।
बीमा क्या है इसके लाभ लिखिए?
बीमा निर्धारित जोखिम से होनें वाली हानि के प्रति सुरक्षा प्रदान करता है। जीवन बीमा में मृत्यु या जीवन से घटित घटना पर बीमित रकम का भुगतान कर दिया जाता है। जीवन के अनेक आवश्यकताओ के लिये अलग अलग प्रकार के बीमापात्र खरीदे जाते है जो बीमित व्यक्ति से सम्बन्धित होते है।
बीमा अनुबन्धों के प्रकार
अग्नि बीमा - मूल्यांकित अथवा अमूल्यांकित, संपूर्ण तथा अनिश्चित, निर्धारित तथा औसत
जीवन बीमा
दुर्घटना बीमा
घर का बीमा
स्वास्थ्य बीमा
गाड़ी की बीमा (आटोोबाइल इंश्योरेंश)
बीमा कितने प्रकार के होते हैं?
Life Insurance: 8 तरह की होती है जीवन बीमा पॉलिसी अपनी जरूरत के हिसाब से चुनाव करें
टर्म इंश्योरेंस प्लान
मनीबैक इंश्योरेंस पॉलिसी
एंडोमेंट पॉलिसी
सेविंग्स एंड इन्वेस्टमेंट प्लान्स
यूलिप
आजीवन लाइफ इंश्योरेंस
चाइल्ड इंश्योरेंस पॉलिसी
रिटायरमेंट प्लान
बच्चों का बीमा कैसे करें?
LIC की न्यू चिल्ड्रन मनी बैक प्लान की पॉलिसी 25 साल के लिए की जाती है और इसमें आपको मैच्योरिटी की रकम किस्तों में मिलती है। इसके तहत जब आपका बच्चा 18 साल का होता है तब पहली बार इसका भुगतान किया जाता है। दूसरी बार इसका बच्चे के 20 साल का होने पर और तीसरी बार 22 साल का होने पर भुगतान मिलता है।
एलआईसी की कन्यादान योजना क्या है?
इस पॉलिसी के अंतर्गत बीमित व्यक्ति को परिपक्वता के समय एकमुश्त राशि प्रदान की जाएगी। LIC Kanyadan Policy के अंतर्गत यदि पिता की मृत्यु हो जाती है तो प्रीमियम का भुगतान नहीं करना होगा। यदि एक्सीडेंट के कारण लाभार्थी की मृत्यु हो जाती है तो उसके परिवार को 1000000 रुपए प्रदान किए जाएंगे।
बीमा की विशेषताएँ एवं प्रकृति
1. जोखिम से सुरक्षा
2. जोखिमों को फैलाने का तरीका
3. जोखिम का बीमितों से बीमाकर्ता को हस्तान्तरण
4. बीमा एक प्रक्रिया भी है
5. बीमा में वैधानिकता का गुण होने से यह एक वैध अनुबन्ध है।
6. बीमा सहकारिता की भावना पर आधारित है।
7. बीमा में जोखिमों को समाप्त नहीं किया जा सकता है परन्तु जोखिमों की अनिश्चितता को कम व निश्चित अवश्य किया जाता है।
8. बीमा में घटना के घटित होने पर ही भुगतान किया जाता है। जीवन बीमा
9. बीमा में जोखिम का मूल्यांकन व निर्धारण बीमा अनुबन्ध के पूर्व ही कर लिया जाता है। प्रीमियम निर्धारण
10. भुगतान का आधार - जीवन बीमा में विनियोग तत्व निहित होता है
11. बीमा का क्षेत्र बहुत विस्तृत हो गया है। जीवन बीमा, समुद्री बीमा, अग्नि बीमा, चोरी बीमा दुर्घटना बीमा, पशुधन बीमा, फसल बीमा
12. संस्थागत ढांचा - जीवन बीमा निगम, सामान्य बीमा निगम
13. बीमा जुआ नहीं है - जुए में एक पक्षकार लाभ में तो दूसरा पक्षकार हमेशा हानि में ही रहता है परन्तु बीमा में ऐसा नहीं होता है।
14. बीमा दान नहीं , अधिकार है
15. सामाजिक समस्याओं के निवारण का उपाय
16. बीमा कानून अनिवार्य - सम्पूर्ण बीमा व्यवसाय का नियमन एवं नियन्त्रण किया जाता है।
17. बीमा सिद्धान्तों की अनिवार्यता - इनमें बीमा योग्य हित, परम सदविश्वास का सिद्धान्त, सहकारिता व संभाविता आदि मुख्य सिद्धान्त है।
18. बीमा केवल वैध सम्पत्तियों / कार्यों का किया जा सकता है। चोरी, डकैती तस्करी आदि के सामान का बीमा नही करवाया जा सकता है।
19. बीमितों की बड़ी संख्या का होना - कम प्रीमियम के बदले सुरक्षा प्राप्त होगी।
20. हानि बीमित के नियन्त्रण के बाहर हो - अज्ञात व अनिश्चित हानियों का ही बीमा करवाया जा सकता है।
बीमा की आवश्यकता
1. जोखिमों के विरूद्ध सुरक्षा प्राप्ति हेतु
2. संभावित जोखिमों से सुरक्षा प्राप्ति हेतु
3. जोखिमों के प्रभाव को कम करने हेतु
4. सुरक्षा के लिए अतिरिक्त पूंजी की आवश्यकता से मुक्ति हेतु
5. वृहत स्तरीय उपक्रमों के विकास हेतु आवश्यक
6. वित्तीय संस्थाओं से वित्त प्राप्ति हेतु
7. विदेशी व्यापार विकास हेतु आवश्यक
8. बचत व निवेश को प्रोत्साहित करने हेतु
बीमा की सीमाएँ
1. सभी जोखिमों का बीमा नहीं कराया जा सकता -
2. ऊंची प्रीमियम दरें
3. नैतिक संकट- बीमा करवाने वाले कुछ लोग बीमा का दुरूपयोग भी करते है।
4. बीमा लाभकारी विनियोग नहीं है - बीमा सुरक्षा के साथ-साथ निवेश भी है
5. बीमा की ऊंची संचालन लागतें
6. एकाकी व्यक्ति की जोखिम का सीमा समग्र नही
7. बीमा केवल वित्तीय मूल्य तक ही सीमित
8. कुछ बीमा पत्र केवल सरकारी सहयोग पर निर्भर
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